Monday 23 October 2023

शायरी 45

 शायरी

दो वक़्त की रोटियों के लिए गांव छोड़ने वाला अकेला वही नहीं था।

गांव सा सुकून पूरे शहर में और कहीं नहीं था। 

वो खुश था अब आराम से बीतेगी जिंदगी ईन पैसो से! 

लेकिन चंद रुपयों के लिए घर बेच देना भी तो सही नहीं था ।।