Monday 5 March 2018

शायरी 37

शायरी

हम उनकी याद मे कभी तराने लिख़ देतें हैं,
कभी अफ़साने लिख़ देतें हैं। 

हम जब भी मिलना चाहते हैं,
वो हर बार कुछ बहाने लिख  हैं।