Tuesday 13 June 2017

शायरी 32

शायरी 

शाम सी ढलती रही। 
दिए सी जलती रही। 

सांसें तो थम थी गयी। 
ज़िन्दगी थी बढ़ती रही। 

शायरी 31

शायरी 

रास्ते अंधेरों से  घिरने लगे। 
हम मुसाफ़िरों से डरने लगे। 

हम तन्हाइयों में मरने लगे। 
वो ख़ुद से प्यार करने लगे। 

Thursday 1 June 2017

शायरी 30

शायरी 

 अजी बेवफ़ा होते है वो लोग 
जो छोड़ कर चले जाते है। 

हम तो आशिक़ है। 
हर अदा पर सौ बार मर जाते है।