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Wednesday, 24 July 2019
शायरी 44
शायरी 44
तेरी वादाखिलाफत रोक लेती हैं
मुझे तेरे पास आने से...
वर्ना इस ज़माने की क्या औकात
की रोक ले तुझे पाने से....
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