कुछ लिखा है पढना चाहोगे :-)
Tuesday 22 August 2017
शायरी 34
शायरी
दर किनार कर दिया है तुम्हे ख़्वाबों से मैंने ,
बस यही सोचकर
की तुम भी तो मुझे याद नहीं करती।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment