शायरी
दो वक़्त की रोटियों के लिए गांव छोड़ने वाला अकेला वही नहीं था।
गांव सा सुकून पूरे शहर में और कहीं नहीं था।
वो खुश था अब आराम से बीतेगी जिंदगी ईन पैसो से!
लेकिन चंद रुपयों के लिए घर बेच देना भी तो सही नहीं था ।।
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