Wednesday 5 April 2017

शायरी 16

शायरी
चुप रहना मेरी आदत बन गयी है।  
तुम्हें याद करना मेरी ईबादत बन गयी है। 
नफ़रत को मुझ से दूर ही रखना मेरे यार,
क्योंकि
इस दुनिया मे मेरे लिए तो सिर्फ़ उल्फ़त ही रह गयी है। 

No comments:

Post a Comment