Wednesday 22 December 2021

काव्य

शीर्षक - पहले और अब 


एक आदत थी तुमसे मिलने की,
अब एक कोशिश है बस दूर से देख लेने की।

एक आदत थी तुम्हे हर रोज़ चाहने की,
अब कोशिश है एक रोज़ भूल जाने की।

एक आदत थी तुम्हारे पास रहने की,
अब कोशिश है दूरी बनाए रखने की।

एक आदत थी खुश रहने की,
अब कोशिश है ग़म पाल लेने की।

तब लालच था सिर्फ तुम्हें पाने का ,
अब कोशिश है दुनिया जीत लेने की।


लेखक - दीवेश दीक्षित

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