कुछ लिखा है पढना चाहोगे :-)
Saturday, 25 March 2017
शायरी 6
शायरी
बहुत ही ख़राब था वो मंज़र ,
अब और क्या कहें।
आसमाँ भी रोया था,जब उस के आसूं बहे।
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