Tuesday, 4 April 2017

शायरी 14

शायरी 
थक गए हम तन्हाइयों से लड़ते-लड़ते, 
ग़म की शायरियाँ पढ़ते-पढ़ते,
फिर कोई मोहतरमा आएगी इश्क़ की दों बातें करने।
फिर मुस्कुरा देंगे हम उन्हें याद करते-करते। 

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