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Tuesday, 18 April 2017
शायरी 26
शायरी
थक गए हम अश्क़ों को पीते-पीते,
तन्हाइयों में ज़िन्दगी जीते-जीते,
अब नहीं सह पाती शबनम की चमकह ये आँखें,
मेरे यार,
फिर भी इन्हे शबनम दिखा गए जाते-जाते।
2 comments:
Unknown
18 April 2017 at 11:34
Waah waah
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divesh
8 August 2019 at 08:09
Thanks sir
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Waah waah
ReplyDeleteThanks sir
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