Friday 14 April 2017

शायरी 22

शायरी
 रातें गुज़र गयी, तुम्हारे इंतज़ार में। 
साँसें ही रुक गयी, तुम्हारी याद में। 
शम्मा बुझाने गए थे हम,इन लम्हों के बाद में। 
ख़ुद ही जल गए हम,इन परवानों के साथ में। 

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